...

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छोड़ दिया....
उन राहों पर चलना भी छोड़ दिया
जिनमे हम कभी साथ थे .....
वो जो था मौसम कुछ दिनों की बारिश का उनमे भीगना भी छोड़ दिया
चल पड़ी हूं नई राहों में ...
पर अब उम्मीद लगाना छोड़ दिया समझा चुकी हूं खुद को में,
था वो एक सपना जो अब टूट चुका
यूं तो भूलना आशा नहीं ..
लेकिन फिर भी उन यादों का पिटारा बंद किया ,
उम्मीद ये है तुम्हें समझ जरूर आएगा तुमने क्या खोया.....
अफसोस तो जरूर होगा तुम्हें,
जो वक्त आज मेरा है ,....
ये एक दिन तेरा जरूर होगा
उस दिन तेरे पास मेरी यादों के पिटारे खुलेंगे जिसमें सिर्फ एक आईना होगा ...


© _ Preet ✍️✨🌈✨