मुझे पढ़िए.....!
मुझे पढ़िये....!!
मैं वो खुली क़िताब सा हूं
जिसने उकेरे है
जाने कितने ही संघर्ष पन्नों पर,
वो अनुभव, वो संघर्ष
किसने किया प्रहार मेरे सपनों पर।
तुम्हें महसूस करना है तो
मुझे पढ़िये....!!
अन्तर्मन को विचलित करती
ये समन्दर सी लहरे
इस में खो जाने दो खुद को,
लहर बनो स्वयं
समन्दर हो जाने दो खुद को।
वो थाह समन्दर का लेना है तो...
मैं वो खुली क़िताब सा हूं
जिसने उकेरे है
जाने कितने ही संघर्ष पन्नों पर,
वो अनुभव, वो संघर्ष
किसने किया प्रहार मेरे सपनों पर।
तुम्हें महसूस करना है तो
मुझे पढ़िये....!!
अन्तर्मन को विचलित करती
ये समन्दर सी लहरे
इस में खो जाने दो खुद को,
लहर बनो स्वयं
समन्दर हो जाने दो खुद को।
वो थाह समन्दर का लेना है तो...