💐जिजीविषा💐
हवाएँ गर्म मौसम की,
मुझे यों छू नहीं सकतीं।
दुआ में उठने वाले वो,
अभी कुछ हाथ बाकी हैं।
टूटी हूँ, या बिखरी हूँ ,
उम्मीदें पर नहीं...
मुझे यों छू नहीं सकतीं।
दुआ में उठने वाले वो,
अभी कुछ हाथ बाकी हैं।
टूटी हूँ, या बिखरी हूँ ,
उम्मीदें पर नहीं...