...

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बे –इंतहान प्यार
मैं सिद्दत्त से
तुम्हारी हो जाना चाहती हूं

पर अभी इस वक्त में नहीं
अभी मैं लड़ रहीं हूं
बहुत सारे जंग खुद से

मैं तुमसे एक शांत
नदी बन कर मिलना चाहती हूं

और इस वक्त में मैं
एक ज्वालामुखी हूं

मैं जला दूंगी तुम्हारे कोमल मन को
और उसमे जल जायेगा,
मेरे लिए तुम्हारा प्यार भी

मेरे मन मस्तिष्क पर
घाव हैं बहुत सारे
किसी की प्यार भरी बातों से भी
जलन होती है इनमे

मैं नहीं चाहती तुम मेरे दर्द को जिओ
मैं अपने सारे जख्मों को भर देना चाहती हूं

तुम्हारी होने से पहले मैं
पूरी तरह खुद की होना चाहती हूं

एक बार फिर मैं नहीं चाहती
खुद को खोना,यूं रातों को रोना भी
मैं फिर से नहीं चाहती

तुम रुक कर मेरा इंतजार करोगे क्या?
मुझसे बे–इंतहान प्यार करोगे क्या?

© life🧬