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इत्तेफाक
इत्तेफाक

बहुत कुछ बदल देते हैं
ज़िंदगी में कुछ इत्तेफाक
कहीं बंजर को बाग करते हैं
तो कहीं महकती बगिया को खाक
कभी सुनते हैं इत्तेफाक कुछ नही
सब कुछ तो तय है पहले से ही
लिखा है जन्मों का जोखा जहाँ
इत्तेफाक जैसा तो कुछ है ही नही वहाँ
तो क्यूं न मान लिया जाए
इत्तेफाक को ही भाग्य
क्यूं न सब रब की रज़ा मान
स्वीकार किया जाए


© Garg sahiba