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तारो को गिनते है
दिन को चैन नहीं, रात में आराम नहीं है,
तारों को गिनते हैं और कोई काम नहीं है!
कोई मेहबूब नहीं जो यादों में जगाए,
मयखाने बहुत है, हाथों में जाम नहीं है!
हुस्न के बाज़ार में मुसलसल बरसात है,
कहते हैं सब हमसे, रास्ता ये आम नहीं है
लिखा है "सागर" उस पर पता तेरे घर का,
लेकिन देख, उस चिट्ठी पर तेरा नाम नहीं है!
© Sagar-Ocean Of Love
तारों को गिनते हैं और कोई काम नहीं है!
कोई मेहबूब नहीं जो यादों में जगाए,
मयखाने बहुत है, हाथों में जाम नहीं है!
हुस्न के बाज़ार में मुसलसल बरसात है,
कहते हैं सब हमसे, रास्ता ये आम नहीं है
लिखा है "सागर" उस पर पता तेरे घर का,
लेकिन देख, उस चिट्ठी पर तेरा नाम नहीं है!
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