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अमीर और गरीब
दाल चावल महँगे हो गए
और सस्ती हो गयी डाटा
एक वक़्त की रोटी के लिए
गरीब के घर नहीं आटा
देखती हूँ इस दुनिया को
तो लगता है बड़ा अजीब
किसी के पैर में है बाटा
तो किसी को चुभ रहा है कांटा
कोई चल रहा है कोसो पैदल
तो किसी के पास है टाटा
गरीब चाहता धन दौलत
अमीर चाहता सुख चैन
ये सब पाने के लिए
दोनों के तरसते है नैन
गरीब अपनी झोपड़ी मे
आराम से है सोता
महलो मे रहकर
आमीर धन के लिए रोता
एक दिन सबको है
मिट्टी मे मिल जानी
अमीर हो या गरीब
सबकी यही कहानी
-स्वेता
और सस्ती हो गयी डाटा
एक वक़्त की रोटी के लिए
गरीब के घर नहीं आटा
देखती हूँ इस दुनिया को
तो लगता है बड़ा अजीब
किसी के पैर में है बाटा
तो किसी को चुभ रहा है कांटा
कोई चल रहा है कोसो पैदल
तो किसी के पास है टाटा
गरीब चाहता धन दौलत
अमीर चाहता सुख चैन
ये सब पाने के लिए
दोनों के तरसते है नैन
गरीब अपनी झोपड़ी मे
आराम से है सोता
महलो मे रहकर
आमीर धन के लिए रोता
एक दिन सबको है
मिट्टी मे मिल जानी
अमीर हो या गरीब
सबकी यही कहानी
-स्वेता
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