पहले थोड़ा आराम करुँ
बल बुद्धि और पराक्रम से
अस्तित्व को अपने प्रखर करूं
दृढ़ निश्चय और बाहुबल से
विजयी ये विश्व शिखर करुँ
फिर मन में सोचा क्यूं न
बाद में सारे काम करूं।
पहले थोड़ा आराम करुँ।
वैसे बन सकता हूँ मैं भी पार्थ...
अस्तित्व को अपने प्रखर करूं
दृढ़ निश्चय और बाहुबल से
विजयी ये विश्व शिखर करुँ
फिर मन में सोचा क्यूं न
बाद में सारे काम करूं।
पहले थोड़ा आराम करुँ।
वैसे बन सकता हूँ मैं भी पार्थ...