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कहने को सब संसार
कुछ कहूं या चुप ही रहूं?
कहने को है सारा संसार।
तुमसे कहूं या तुम्हे सुनूं?
तुम ही सुनाओ अपना व्यापार।
सर्दी में बर्फ ओढ़ पहाड़,
क्योंकार गर्मी है पाता?
समुद्र कटोरे भर भर,
जल है किसे पिलाता.?
सपने शुरू होवे क्यों बीच-विचार,
अंत कहीं न, ना कोई आकार..?
तारे झड़कर जुगनू बनकर,
प्रेमी युगल संग करे मल्हार।
किस मंत्र का गान कर भगवान,
आत्मा को हैं शरीर बसाते..?
अनेक सिरधारी देव दीवान,
शिव को दो एक मुकुट दान।
जल बीच जलयान बना महान,
डगमग डगमग पार उतारे।
एक मुसाफ़िर एक जहाज,
अब बस करूं अकेला राज।
© rakesh_singh🌅
कहने को है सारा संसार।
तुमसे कहूं या तुम्हे सुनूं?
तुम ही सुनाओ अपना व्यापार।
सर्दी में बर्फ ओढ़ पहाड़,
क्योंकार गर्मी है पाता?
समुद्र कटोरे भर भर,
जल है किसे पिलाता.?
सपने शुरू होवे क्यों बीच-विचार,
अंत कहीं न, ना कोई आकार..?
तारे झड़कर जुगनू बनकर,
प्रेमी युगल संग करे मल्हार।
किस मंत्र का गान कर भगवान,
आत्मा को हैं शरीर बसाते..?
अनेक सिरधारी देव दीवान,
शिव को दो एक मुकुट दान।
जल बीच जलयान बना महान,
डगमग डगमग पार उतारे।
एक मुसाफ़िर एक जहाज,
अब बस करूं अकेला राज।
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