...

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रिश्ते
वक़्त ने सबकुछ सिखा दिया मुझे,
ना गलती हुई, फिर भी सजा दिया मुझे।
टूटे काँच सा यूँ बिखर गया मेरा भरोसा -
रिश्तों से नफ़रत करना सिखा दिया मुझे।

ऐ खुदा, ये कैसी तेरी माया,
जहाँ खून का रिश्ता -
पल में हो गया पराया,
और मुहबोले रिश्ते को -
हमने गले से लगाया।

ऐसी ही एक कहानी,
आज सुनलो मेरी जुबानी।

एक रिश्ते की अजीब कहानी,
दिखने में थी बड़ी सुहानी।
जहाँ सिर्फ प्यार का बसेरा था-
नफ़रत का वहां ना कोई डेरा था।

लेकिन,
सब थे इस बात से बेखबर -
आने वाली तुफान की,
नहीं थी किसी को खबर।
सारी खुशियाँ बह गइ,
धोखे की इस बारिश में।
हँसता खेलता ये परिवार,
डूब गया इस बारिश में।

आँसू गिरें, हम मान गये ।
कांटे चूभे, हम मान गये ।
लेकिन क़ीमत क्या थी प्यार की-
इस धोखे से हम जान गये ।

ऐ दोस्त, ये गुजारिश है मेरी।
तु छोड़ दें कोशिशें -
ऐसे रिश्ते को निभाने की।
ऐसे रिश्ते होते ही हैं,
बेबुनियाद ।
क्योंकि यहाँ पर प्यार -
रहता नहीं किसी को याद।

-प्रियम

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