...

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गुलाली हो जाऊं
#ghazal

यूं उतरू तुझमे कि खुद से खाली हो जाऊं,
तेरे होठों चुम लू को और गुलाली हो जाऊं,

इक उम्र से हैं  इंतज़ार की  लौ बुझी  मुझमें,
जो तु मिलें तो मैं जलकर दीवाली हो जाऊं,

जिन्होंने था ठुकराया वो भी मेरी आरजू करे,
कुछ इतना उमदा बनू कि ख़याली हो जाऊं,

प्यास कबसे हैं ठहरी जाने रूह-ओ-दिल में,
मुझे सैराबी मिले गर उसकी पियाली हो जाऊं,

रूह मेरी नापाक जो क़ाबिल-ए-जन्नत नहीं,
अब किस दर पर झुकूं कि ज़ुलाली हो जाऊं,

ख़ुदा वैसे तो  रहाँ  मेहरबान  हमपर  हमेशा,
बरबाद भी  किया ऐसे कि मिसाली हो जाऊं।

© kahaani_abtak

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