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"आहट दिल की..." ✍️
"आहट दिल की मेरे इस दिल तक पहुँचे,
इश्क़ में तुम्हारे इतनी तो शिद्दत होनी चाहिए ।
रोम-रोम महका रहे तुम्हारी ख़ुशबू से,
दिलों के दरमियाँ इतनी तो क़ुर्बत होनी चाहिए ।।

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मैं खोया-खोया सा रहता हूँ हरदम,
फ़क़त तुम्हारे ही ख़्याल-ओ-ख़्वाबों में साथिया,
कि- जितनी है मुझे ज़रूरत तुम्हारी,
उतनी ही तुम्हें भी मेरी ज़रूरत होनी चाहिए ।।

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अखियाँ ही अँखियाँ कर डालें सारी बातें,
उफ़्फ़.. धड़कनों की गुफ़्तुगू का क्या ही कहना,
कि- अपने आग़ोश में भर लो मुझे बेसुध होकर,
साँसों की साँसों से इतनी तो सोहबत होनी चाहिए ।।

❣️

गढ़ जाएंगे बेनज़ीर से अफ़्साने तमाम,
जो मैं और तुम इक हो बैठेंगे ओ हमनफ़स मेरी,
कि- चाँद-ओ-सितारों का क्या ही करना,
बस इश्क़ की हमारे दिलों में शिरक़त होनी चाहिए ।।

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तुम्हारी साँसों की आवाजाही को रफ़्तार दूँ,
आओ... इन बिखरी-बिखरी ज़ुल्फ़ों को मैं सँवार दूँ,
कि- जो मैं भँवरे सा मंडराता रहूँ रात-ओ-दिन साथिया,
तो तुममें भी कली सी कुम्हलाने की हसरत होनी चाहिए ।।

❣️

बेक़रार सी मेरी ये ख़्वाहिशें दम ना तोड़ दें कहीं,
तुम नेमत-ए-इश्क़ बनकर मुझ पर बरस जाना,
आरज़ू-ए-सुकूँ-ए-रूह है गर तुम्हारी,
तो मेरी भी ख़्वाहिशों की इतनी तो ख़िदमत होनी चाहिए ।।

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क्या ही करे बेक़रारी-ए-वस्ल-ए-यार बयाँ "शाश्वत.."
वाज़िब है... अब तुम्हारा अब्र-ए-सुकूँ बन मुझपर बरस जाना,
कि- तुम्हें बना दे ता-हयात को वो ख़ुदा फ़क़त मेरा,
इस मुरीद पर इश्क़ की इतनी तो रहमत होनी चाहिए ।।"
✍️- Vishaal "Shashwat..."