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खिड़की सपनों की

एक खिड़की थी सपनों की.
दोस्त लगाते थे आवाज जहाँ,
कभी स्कूल तक साथ चलने की,
कभी खेल कर मन भरने की.

सब्जी वाले आवाज लगाते,
तो घरों से लोग चले आते.
कुछ बातचीत हो जाती,
क्षण भर के लिए दुनिया नयी हो जाती.

बाज़ार जाते,...