...

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बारिश
बारिश का आगमन भी कुछ इस प्रकार का वर्णन करता है ...
तेज हवाओं की बौछारें और पक्षियों की अपने में गुफ्तगू ...
एक तेज हवा का झोंका और नींद का खुल जाना ...
मेरी खुली जुल्फों की आजादी और समंदर सी आंखों का भर जाना ...
कभी पेड़ो से बाते करना तो कभी खुद में को जाना ...
क्या मुझे बारिश होने का एहसास हो रहा है...
हल्की- हल्की बारिश की बुंदाबूंदी और हवाओं का आपस में उलझना ...
और फिर वो बदलो का छाया सुबह का उजाला भी अंधेरी रात में बदलने लगा है...
फिर बूंदों का। धरती से मिलन की खुशबू किसी मोहतरमा की खुशबू से कम नहीं होती ...
और खुला मैदान हो भीगी-भीगी मिट्टी की खुशबू हो...
उसकी यादों का ख्याल हो ...
और एक हसीन सा ख़्वाब हो ...
क्या वो बारिश का मौसम हो ...


-sanju mei
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