...

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कभी खुद को तो देखो👀
कभी खुद को तो देखो नज़र से हमारी,
चांद से, हूबहू मिलती है, सूरत तुम्हारी.

तुम्हारी आंखों में, नूर है आफताब सा,
खिलते हुए फूलों सी हंसी प्यारी प्यारी.

रेशमी जुल्फें हाय घटाए काली काली,
कुदरत ने फुर्सत से अभी अभी संवारी.

लबों रुखसार मे उफ़ बंगाल का जादू,
उस पर उमर तुम्हारी, अभी है कंवारी.

एक हम ही, नहीं है, तुम्हे चाहनेवाले,
तुम्हारी सादगी पे मरती दुनिया सारी.

© एहसास ए मानसी