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प्रफुल्लित मन
प्रकृति से जुड़े हैं मन के तार,
जैसा बाह्य जगत वैसे ही हो जाते मानस के भाव।

जब आता बासंती पर्व,
प्रकृति का होता चरमोत्कर्ष।

मन छू लेता ख़ुशी के उच्चतम शिखर,
प्रसन्नता की गागर जाती छलक।

ग्रह शुक्र होता राशि उच्चस्थ,
प्राणों में भर जाता अनुराग।

© Urmila Verma

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