ग़ज़ल
बात कड़वी थी मगर वो कह गए
दिल पे पत्थर रख के हम सब सह गए
मिल गया हमको ख़ुदा का जब सुराग़
खोजने तब उसको तह-दर-तह गए
हम जहाँ थे हैं वहीं पर आज...
दिल पे पत्थर रख के हम सब सह गए
मिल गया हमको ख़ुदा का जब सुराग़
खोजने तब उसको तह-दर-तह गए
हम जहाँ थे हैं वहीं पर आज...