...

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आशा
सपनों की एक आशा है
बिन उनके जीवन प्यासा है
आज मिला वह थोड़ा है
कल ज्यादा पानै की अभिलाषा है
यही तो हमको खींचे हैं
हम आंखों को क्यों मीचे हैं
सब होता हुआ हमें दिखता है
पर लबों को फिर भी भीचे हैं
ना कोई कुछ भी बोल रहा
कैसा यह सन्नाटा है
सपनों की एक आशा है
उनके जीवन प्यासा है
कमजोरों से लड़ते हैं
उन पर ही अकड़ते हैं
पर जब अपने ऊपर आती है
फिर खुद को देते दिलासा है
सपनों की एक आशा है
बिन उनके जीवन प्यासा है


© RAHUL PANGHAL