...

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फर्क
फर्क बस इतना है
तुममें और मूजमें
मैं ध्यान रखता हूँ
तुम नजर रखते हो।

जब भी बात आती हमारी
मैं भीतर गाँव रखता हूँ
तुम खुद में ही डूबा
खुदगर्ज शहर रखते हो।

खुलकर हँसना, जी भर रोना
सामने तुम्हारे प्यार के फूल रखता हूँ
तुम हुनरबाज जूठो के ढेर
दिखावे की खुशी
शकवाले भारी पथ्थर रखते हो।

रुक जाता हूँ तुम्हें सोचता,
हर छोटी छोटी बात की कदर रखता हूँ
तुमसे कोई वादा न होता
न बातें याद रहती
भूलकर खुद मे खुदका सफर रखते हो।

सौम्यसृष्टि

© Somyashrusti