...

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सवाल
सवालों की आग में जलती रहती हूँ,
उत्तर की ख्वाहिश में जीती रहती हूँ।
हर रोज़ नई मुसीबतें आती हैं,
पर मैं थकने नहीं देती हूँ।

हर चर्चा, हर विचार मेरे सामने,
समय का दबाव, परेशानी के साथ।
पर उन सवालों के आगे हार नहीं मानती,
उनके उत्तरों की खोज में बढ़ती हूँ।

अज्ञानता के अंधकार में भटकती,
ज्ञान के द्वीप की ओर निकलती।
मेरे अंदर एक उर्जा की ज्वाला है,
जब जिज्ञासा से बदलती हूँ।

कोई सवाल छूने के बाद रुकती नहीं,
उनकी प्रतिक्रिया से प्रभावित होती हूँ।
मैं अपने अंदर एक उत्तर का आधार हूँ,
सदैव प्रगति का मार्ग चुनती हूँ।

सवालों के समाधान में मेरा समर्थन है,
उत्तरों का विचार करती हूँ सदैव।
क्योंकि ज्ञान ही है जो मुझे अच्छा लगता है,
सवालों की मैं वह आधार हूँ।

© Manavata Tripathi (Tejashvi)