...

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हिज्र...!
#हिज्र में उसके दिल बेचेन हुआ है जब से,
अपने दिल को मैं सीने से लगाकर सोता हूँ!

इन्तिज़ार में जागती हैं रात भर अखियाँ,
ख्यालों में ही सही तेरा दीदार कराकर सोता हूँ!

बहुत बेचेन था दिल मेरा दुनिया की इन रस्मों से,
अब मेैं सारी रस्मों से दामन छुड़ाकर जीता हूँ!

बहुत शिद्दत की उल्फत थी बिछड़ना कैसे...