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रात कुछ बातें कर वो
#एकस्वरकविता

रात कुछ बातें कर
ये चार सूं तन्हाई
ये अश्कों की रवानी
ये पत्तों पे ओस की बूंदें
ये समन्दर खारे खारे
रात कुछ बातें कर
दिल के रिसते हुए ज़ख्मों पर
बातों का मलहम रख दे
या मेरा दिल पत्थर कर दे
रात कुछ बातें कर
वो आकर चले गए
कुछ जख्म नये दे गए
ये उजड़ी हुई महफिल
ये पैमाने खाली खाली
रात कुछ बातें कर