...

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उम्र दराज
दोस्त, कोशिश तो बहुत की
कि दराज़ में रख दें उम्र को,
जिएं बचपन के उन लम्हों को,
जो कभी हुआ करते थे
नादां और मासूम,
दोस्त, जवानी के लम्हों को भी
जीने की कोशिश करते हैं हम,
क्या करें दोस्त इस उम्र के रोग का,
बूढ़ी हड्डियों के इन दर्द का,
जवानी में चोट जो खाई,
वो अलग से परेशान करती है,
दोस्त, वादा तो नहीं लेकिन
एक बार फिर से कोशिश कर लें,
अक्स को ढूँढने की कोशिश न करें,
यादों का कारवाँ जाने दें,
कोशिश करें कुछ समय निकालें
सिर्फ़ एक अपनों के लिए,
जो बीत गया सो बीत गया
आसान है ये कहना, दोस्त,
चलो फिर भी एक तलब करें,
दोस्त, वादा नहीं एक कोशिश करें,
उम्र को रखें दराज़ में,
कुछ हम कहें कुछ आप कहें,
कुछ हम जियें तो दोस्त
कुछ हम सब मिलकर जियें I
© Arvind Akv