...

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कीचड़ उछालना
उछाल कर कीचड़ ,तुम मुझे गन्दा कर नहीं सकते ,
मैं तो मोहब्बत पाकीजा हूँ ,यूँ फेंक कर कीचड़, मुझे गन्दा कर नहीं सकते

मैं कैसा हूँ ,मैं बुरा हूँ , मैं बुरी हूँ ,
ये भी अब तुम जैसे लोग तय करेंगे ,
जो मुझसे परिचित हैं केवल इतने कि मेरा चेहरा और महज नाम ही जानतें हैं ,
कह कर बुरा मुझे अपनी महफ़िल में ,
ले लो मजे ,तुम्हारी फितरत ,
मैं क्या हूँ ,मैं जानता हूं या तो मेरा खुदा जानता है,
यकीन है मुझे ,मेरे कान्हा अन्याय मेरे साथ कर नहीं सकते,

नहीं ख्वाहिश ,मुझे अच्छा बनने की ,
तुम्हारी अदालत में ऐ ! लोगों ,
तुम पैसों के भूखे , किसी का भला कर नहीं सकते ,
मुझे यकीन है अपनी मेहनत अपनी कोशिश पर ,
जब कृपा हो साथ में ,कान्हा की अपनी तब हम ,प्रचलित बुराइयों से यूँ डर नहीं सकते ,
कर लो कोशिश ,उछाल लो कीचड़ ,
लेकिन बता दूँ ,तुम कभी भी प्रेम को गन्दा कर नहीं सकते।
© @मृदुलकुमार