...

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तुम क्या करोगे....
मेरे दर्द की दास्ताँ जानकर भी, तुम क्या करोगे?
दफ़ना दिया जिसे उसे खोद के तुम क्या करोगे?

ख़ुश होती हूँ आहिस्ता, रुक-रुक कर हँसती हूँ,
सुला दिया जिसे, उसे जगा के तुम क्या करोगे?

दुःख होता गर देख सितम तो वही दोहराते नहीं,
भुला दिया जिसे, उसे याद रख तुम क्या करोगे?

चीखने-चिल्लाने से सुर्खियाँ बनी हैं अख़बार की,
ज़ख़्म दिया जिसे, उसे कुरेद के तुम क्या करोगे?

लोग-समाज वक़्त आने पर अँधे हो जाते हैं 'धुन',
बेच दिया जिसे, उसे ढूँढ़के फिर तुम क्या करोगे?
© संगीता साईं 'धुन'

#poem #Love&love #writco @AtulPurohit #Feelings