इश्क दोबारा नहीं होता।।
तुम थाम लेती दुनिया के सामने मेरा हाथ,
तो आज मैं कुंवारा नहीं होता।।
तुम्हारे सिवा किसी काम में मन नहीं लगता,
वरना आज मैं नाकारा नहीं होता।।
इश्क में इतना टूट गया हूं की लाचार हो गया हूं,
तुमसे ना मिलता तो बेचारा नहीं होता।।
दर दर भटकता हूं तुम्हें ढूढने को घर छोड़ कर,
ढूढने न निकलता तो बंजारा नहीं होता।।
समझाया था मां बाप ने इश्क के चक्कर में मत पड़ना,
समझ लेता तो...
तो आज मैं कुंवारा नहीं होता।।
तुम्हारे सिवा किसी काम में मन नहीं लगता,
वरना आज मैं नाकारा नहीं होता।।
इश्क में इतना टूट गया हूं की लाचार हो गया हूं,
तुमसे ना मिलता तो बेचारा नहीं होता।।
दर दर भटकता हूं तुम्हें ढूढने को घर छोड़ कर,
ढूढने न निकलता तो बंजारा नहीं होता।।
समझाया था मां बाप ने इश्क के चक्कर में मत पड़ना,
समझ लेता तो...