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ग़ज़ल
आपका दिल दुखाना जरूरी नहीं,
हर घड़ी आजमाना जरूरी नहीं।
पल रहा ख्वाब कोई न ज़ाहिर करो,
साथ देगा ज़माना जरूरी नहीं।
आ गए अब्र तो भीग जाए जहां,
रूठकर लौट जाना ज़रूरी नहीं।
हाँ जरूरत उन्हें खींच लाई यहाँ,
पर हँसी यूँ उड़ाना जरूरी नहीं।
काँच तो काँच है चुभ गया ग़म नहीं,
ज़ख्म होगा पुराना जरूरी नहीं।
© शिवकुमार बर्मन ✍️
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