...

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एक खालीपन सा छाया है मन में
एक खालीपन सा
छाया है मन में
जैसे झड़ गए हो
तमाम फूल उपवन में।
कोई तो वजह होगी।

मेरे इस जीवन में
कि चलता आया मैं
तमाम अड़चनों के बाद भी
लड़ता आया खुद से
तो कभी खुदा से
ज़माने का होकर भी
चलता रहा अकेला अनवरत
ज़माने की ही खातिर।

दिल में शोर लिए
मन में जोर लिए
कुछ अच्छा करता रहा
सदा अच्छा करने की
कामना के साथ
कभी न थामा गलत का हाथ
पर ये क्या .......
ये खालीपन आज क्यों
लगता हूँ मैं थक गया।

- डॉ. जगदीश राव
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