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नारी :कृष्ण के गीता की मर्यादा
जब है जानती गंगा सी बनकर बहना
तो बनी आग की लपटों की वो ज्वाला है
अभी भी हो रूकने का नाम नहीं ले रहे
ये बताओ?
बाकी कितना कुरूक्षेत्र होने अभी वाला है
अभी देखा नहीं है तुमने रूप रौद्र उसका
कभी श्रद्धा में बंधी फ़ूल तो
कभी मृत्यु का बनी रूप आधा...