...

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जिंदगी
अब संभाले संभले ना कभी
बहक जाये तो अच्छा है
हर शाम के ढलते सूरज सा
ये ढ़ल जाये तो अच्छा है

कितनी चिंगारी उठती है
हर बार यहीं दुहराती है
तुम सुखे पत्तों...