...

15 views

" सहारा "
जीवन रूपी इस नैया का,
यह खेल बड़ा निराला है।
खेलने को तो सब तैयार,
देता नहीं कोई सहारा है।।

मानवता की अलख जगाये,
दुखी जनों का बनों सहारा ।
कुटिलताओं को दूर भगाये,
जीवन होगा सफल हमारा ।।

मानवता से हम नाता जोडे ,
दिव्यांग जनों का बने सहारा।
इस धरा पर नहीं हो बेचारा,
एक दूसरे प्रति हो भाईचारा।।

सहारा मिला था सुदामा को,
शायद मिला नहीं किसी को।
कोई न जान पाया आज तक,
उस द्वारकाधीश की लीला को।।

जीवन की ये सच्ची परिभाषा,
मात-पिता का हम बने सहारा।
आओ सेवा से कभी न घबराना,
तभी जीवन सफल बने हमारा।।