विश्व शांति दिवस पर कविता-तु हार मानेगा नहीं
विश्व शांति दिवस पर लिखी कविता-तु हार मानेगा नहीं
उठ रहे नभ में शिखाएं
जल रही मंडल दिशाएं
खुद लगाकर आग जलता दुष्कर्म छोड़ेगा नहीं,
तु हार मानेगा नहीं।
देख लो इतिहास अपना
हो गया सब खाक सपना
हाथ मलते चल पड़ोगे कुछ साथ जायेगा नहीं,
तु हार मानेगा नहीं।
युद्ध का अंजाम मुस्किल
मर रहा इंसान तिल तिल
खुद अपनों के कातिल बन अन्याय छोड़ेगा नहीं,
तु हार मानेगा नहीं।
हो...
उठ रहे नभ में शिखाएं
जल रही मंडल दिशाएं
खुद लगाकर आग जलता दुष्कर्म छोड़ेगा नहीं,
तु हार मानेगा नहीं।
देख लो इतिहास अपना
हो गया सब खाक सपना
हाथ मलते चल पड़ोगे कुछ साथ जायेगा नहीं,
तु हार मानेगा नहीं।
युद्ध का अंजाम मुस्किल
मर रहा इंसान तिल तिल
खुद अपनों के कातिल बन अन्याय छोड़ेगा नहीं,
तु हार मानेगा नहीं।
हो...