धृतसभा
रिश्तों की हवस यहां
मगर रिश्तों की मर्यादा नहीं।
जब टूट जाते हैं रिश्ते
फिर उसका सरेआम चीरहरण होता है।
लगाए जाते हैं ठहाके धृतसभा में
कितना सुंदर शरीर था
कितने सुंदर रंग के वस्त्र थे पहने कभी
कितनी बार मिले थे यहां वहां
किस तरह छुआ था...
मगर रिश्तों की मर्यादा नहीं।
जब टूट जाते हैं रिश्ते
फिर उसका सरेआम चीरहरण होता है।
लगाए जाते हैं ठहाके धृतसभा में
कितना सुंदर शरीर था
कितने सुंदर रंग के वस्त्र थे पहने कभी
कितनी बार मिले थे यहां वहां
किस तरह छुआ था...