12 views
सोच ( कविता )
सोच (कविता)
एक छोटा सा शब्द है सोच
कितना गहराई है सोच मे
कभी किसी का चरित्र दशलाना
कभी किसी का कर्म बन जाना
कभी यह अच्छी सोच हो जाता
कभी किसी की गन्दी सोच बन जाता
कभी मेरे घर बालक ने जन्म लिया
कभी मेरे मित्रों के घर नयें शिशु का आगमन हुआ
युवा अवस्था मे हर जगह हमे जीवन दिखलाता ।
नया जीवन ही हमारी सोच बन कर
हमे उमंग की राह पर ले जाता ।
अचानक मेरे रिश्तेदार का जाना
कभी मेरे करीबी दोस्त का इंतकाल हो जाना
वृद्ध अवस्था में मेरी सोच को बदलता है
हर जगह मुझे मौत और गम ही दिखता है ।
मेरे प्रिय , जीवन तो वही है
फर्क सिर्फ इतना है हर अवस्था में
सोच से ही जीवन बदलता है ।
© All Rights Reserved
एक छोटा सा शब्द है सोच
कितना गहराई है सोच मे
कभी किसी का चरित्र दशलाना
कभी किसी का कर्म बन जाना
कभी यह अच्छी सोच हो जाता
कभी किसी की गन्दी सोच बन जाता
कभी मेरे घर बालक ने जन्म लिया
कभी मेरे मित्रों के घर नयें शिशु का आगमन हुआ
युवा अवस्था मे हर जगह हमे जीवन दिखलाता ।
नया जीवन ही हमारी सोच बन कर
हमे उमंग की राह पर ले जाता ।
अचानक मेरे रिश्तेदार का जाना
कभी मेरे करीबी दोस्त का इंतकाल हो जाना
वृद्ध अवस्था में मेरी सोच को बदलता है
हर जगह मुझे मौत और गम ही दिखता है ।
मेरे प्रिय , जीवन तो वही है
फर्क सिर्फ इतना है हर अवस्था में
सोच से ही जीवन बदलता है ।
© All Rights Reserved
Related Stories
10 Likes
1
Comments
10 Likes
1
Comments