...

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"दर्द की राख में छिपा सुकून"
वो बेड़ियों में बंधी रही,,
खुदके ख्यालों में ही जकड़ी रही,,
जलती रही वो आग में,,
मगर किसी से अपनी कहानी कह न सकी,,

वो शांति से खड़ी रही,,
सर से पैर तक भीगी हुई,,
लपटे जो पैर से उठना शुरू हुई,,
और धीरे–धीरे हर अंग को जलाती गई,,
मगर मुंह से एक उफ्फ तक न निकली,,,

शायद दर्द इतना बढ़ गया था कि,,
अब दर्द में भी एक सुकून मिल रहा था,,
आग में लिपटी हुई, फिर...