एक ग़ज़ल
तुमको भी ग़र ठोकर में अपनी ये ज़माना चाहिए
अमा मियाँ कुछ तो हुनर तुमको भी आना चाहिए
आते हैं तेरी गली हर रोज़ फ़क़त दीदार वास्ते
कभी - कभी तुम्हें भी मेरी गली आना चाहिए
तोहफे में मिला गुलाब हाथों में लिए फिरते हो
इश्क़ है अभी नया नया इसे अभी छुपाना चाहिए
ख़्वाबों में ही आना मिलने मुझसे तुम हर ...
अमा मियाँ कुछ तो हुनर तुमको भी आना चाहिए
आते हैं तेरी गली हर रोज़ फ़क़त दीदार वास्ते
कभी - कभी तुम्हें भी मेरी गली आना चाहिए
तोहफे में मिला गुलाब हाथों में लिए फिरते हो
इश्क़ है अभी नया नया इसे अभी छुपाना चाहिए
ख़्वाबों में ही आना मिलने मुझसे तुम हर ...