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#जिंदगीकेरंग ढंग #जिंदगी #गुणदोष
फर्क नजरों का नहीं है, नजरिये का है दोस्तों !
जिसका गौरव करते उससे वैमनस्य भी पैदा होता !!
जैसे रोशनदान के नीचे शाश्वत अंधेरा कायम रहता ,
लोग अपने मतलबको देखते,पावनतासे क्या ही रिश्ता ?
उदारता ही जब खतरनाक- विनाशक बन जाये,
पाखंड भी जब रीति-रीवाज,परंपरा,धर्म बन जाये !
स्वतंत्रता जब स्वछंदता बन बैठे,
माहौल कुछ कुछ गरमा ही जाये !
हरेक अपने को ज्ञानी समजे और ओरों को पागल
अरे ! स्वयं आचरण से परे !ओरों पर कठोर कानून !
सर्वत्र बहा देते पावनकारी गंगा स्खलित,
पाप छोड आते चतुर कौवे ,चालाक शियार !
दूसरों को प्रायश्चित, सजा करते ;स्वयं चकनाचूर
'मेरा सब सिर्फ मेरा ही है, तेरा सब सबका है !'
'आजादी' के नाम 'खूद के बकवास 'का काम
'मनघडंत कथा' की बस ! डिंगे हांकने का काम !
स्वयं के हाथों खूद की पीठ खुब थपथपाकर
झूठ कहते 'तिरंगे की छांव' में गरज-गरजकर !!
जरा सा खूद को संभालकर देखो
थोड़ा सा ओरों के लिए जीकर देखो !
स्व को भुलाकर फर्ज को याद करके देखो
पीलिया खूद को होने का एहसास होगा !!
मानव हो तो मानव बनकर देखो
जीवन राह सरल-आसान बन जायेगी !



© Bharat Tadvi