...

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बादल
बहोत दिनों से कुछ लिखा नहीं
शायद नया कुछ दिखा नहीं
इन घनघोर बादलों को कलम की तलाश है
कहीं उल्लास तो कहीं भय अंकित कर के ही मानेगा
एक अजीब सा मिश्रण लिए है प्रेम और वैराग का
आज कलम उठ जाए तो दो पंक्तियां लिख दूं

अब आ ही गए हो तो बरस भी जाओ
दो ठंडक या विनाश ही फैलाओ
कलम ले कर...