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कशमकश में जीती स्त्रियां
एक अजीब कशमकश में
स्त्रियां जीती रहती है...
पत्नी प्रेमिका बनना चाहतीं हैं
और प्रेमिका पत्नी...
सवाल हैं
किसका जीवन ज्यादा सहज सरल...
जवाब तलाशती हूं
तो लगता है
रिश्ते का रुप चाहें जो भी हो
एक स्त्री का जीवन,नही सहज सरल...
पत्नी को अधिकार है
तो जिम्मेदारियां है,
रिश्तों से बंधे कर्तव्य है...
मिली देह पर अधिकार है...
तो यही देह
उसे आजाद होने से रोकता भी है...
प्रेमिका को समाज का उलहाना है
तो वह कर्तव्य से
जिम्मेदारियों से मुक्त भी हैं
उसके पास भवीष्य की योजनाएं हैं...
यदि हम
रिश्तों से बहार आ कर झांके
तो दिखता है
एक स्त्री का जीवन ,नही सहज सरल।
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