...

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क्यों आता हूँ
यूं ही बातों-बातों में एक दिन
उसने मुझसे पूछा था
इन तंग गलियों में
भटकने की वजह क्या है
क्यों शहर के ऊंचे मकानों को छोड़
मैं भटकता हूँ इन
मिट्टी की टूटी सड़कों पर।
पूछना उसका भी वाजिब था
कौन आता है इन गलियों में
जहां मकान नहीं झुग्गियां होती हैं
सड़क से पानी
इस ओर से उस ओर होता है
और नंगे पांव दिखते हैं कुछ
फटे पुराने चीथड़ों में पुतले
अगर उन्हें बच्चे कह सको।
कौन सोचता है उन के बारे में
जिन्हें दो वक्त की रोटी के...