...

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नारी तुम केवल श्रद्धा हो ....
नारी तुम केवल श्रद्धा हो ?
यह प्रश्न न अब तुम दोहराना

नारी ही जग की शक्ति है
यह बात न अब तुम झुठलाना

नारी बिन जगत अधूरा है
" शिवशंभु " स्वयं न पूरा है

इनकी शक्ति को पहचानो
इन बिन चहुं ओर अंधेरा है

जो सिया बिन राम
गमन वन करते
रावन कुल फिर कैसे तरते

मातु अनुसुइया की ममता न्यारी
तीनों देव कहें महतारी

देवी उर्मिला का त्याग निराला
१४ वर्ष तक...