...

16 views

" आखिरी छोर "
मुझे याद है वो दिन,
जब तुमने चांद पर जाने कही थी ।

वो पहली मुलाकात थी,
मगर साथ आने को कही थी ।

एक दिन जो आया चांद पर,
खड़ा रहा मैं रात भर ।

हाथों में तेरे हाथ है,
सोच लिया हम साथ हैं ।

फिर ना जाने वो शहर‌,
क्युं सुनी सी पड़ी थी ?

नज़र फेरा तो पहचाना,
मेरे साथ तुम नहीं_तुम्हारी रूह खड़ी थी ।

जी घबराया_दिल दहलाया,
वो रात नशीली थी ।

फिर सीरे मेरी ख्वाबें छोड़कर,
आंखें बस मेरी गीली थी ।

© harishbearboy