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प्रश्न!
प्रश्न...
जीवन में वक्त,
रेत सा फिसल जाता है
दिन–रात सुबह–शाम हर पल,
लम्हा–लम्हा गुजर जाता है
सोचने को हो जाते मजबूर,
तभी तो किसी से पूछा जाता है
फिर निष्कर्ष तो दूर की बात,
उत्तर भी नहीं मिल पाता है
कभी–कभी कोई सवाल,
जहन में इस कदर अटक जाता है
फिर खुद को ही तसल्ली देकर,
दूसरो के प्रति खुद को ही समझाया जाता है
#vineetapanchal
© #vineeta
जीवन में वक्त,
रेत सा फिसल जाता है
दिन–रात सुबह–शाम हर पल,
लम्हा–लम्हा गुजर जाता है
सोचने को हो जाते मजबूर,
तभी तो किसी से पूछा जाता है
फिर निष्कर्ष तो दूर की बात,
उत्तर भी नहीं मिल पाता है
कभी–कभी कोई सवाल,
जहन में इस कदर अटक जाता है
फिर खुद को ही तसल्ली देकर,
दूसरो के प्रति खुद को ही समझाया जाता है
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