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कलियाँ को खिलने दो
हे माली, हे भ्रमर, हे पक्षी.....
मत मंडराओ उस पर,
पवित्रता ए बनाए रखो,
कलियाँ को खिलने दो।
दिन में भी खतरा है उसे,
रात को कौन बचायेगे उसे?
पवित्रता को बनाए रखो,
कलियाँ को खिलने दो।
तुम उनके सौ दयँ को क्रुरता से,
देखते कयु हो थोड़ा सुधरो,
पवित्रता को बनाए रखो,
कलियाँ को खिलने दो।
"संकेत " तुझे सजा मिलेगी,
अधःलोक से ही मत भूलो,
पवित्रता को बनाए रखो,
कलियाँ को खिलने दो।
डाँ. माला चुडासमा "संकेत "
गीर सोमनाथ
© All Rights Reserved
मत मंडराओ उस पर,
पवित्रता ए बनाए रखो,
कलियाँ को खिलने दो।
दिन में भी खतरा है उसे,
रात को कौन बचायेगे उसे?
पवित्रता को बनाए रखो,
कलियाँ को खिलने दो।
तुम उनके सौ दयँ को क्रुरता से,
देखते कयु हो थोड़ा सुधरो,
पवित्रता को बनाए रखो,
कलियाँ को खिलने दो।
"संकेत " तुझे सजा मिलेगी,
अधःलोक से ही मत भूलो,
पवित्रता को बनाए रखो,
कलियाँ को खिलने दो।
डाँ. माला चुडासमा "संकेत "
गीर सोमनाथ
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