My father
कभी अभिमान तो कभी स्वाभिमान है पिता।
कभी धरती तो कभी आसमान है पिता।।
अगर जन्म दिया है माँ ने।
जानेगा जिससे जग वो पहचान है पिता।।
कभी कंधे पे बिठाकर मेला दिखता है पिता।
कभी बनके घोड़ा घुमाता है पिता।।
माँ अगर मैरों पे चलना सिखाती है।
तो पैरों पे खड़ा होना सिखाता है पिता।।
कभी रोटी तो कभी पानी है पिता।
कभी रोटी तो कभी पानी है पिता।।
कभी...
कभी धरती तो कभी आसमान है पिता।।
अगर जन्म दिया है माँ ने।
जानेगा जिससे जग वो पहचान है पिता।।
कभी कंधे पे बिठाकर मेला दिखता है पिता।
कभी बनके घोड़ा घुमाता है पिता।।
माँ अगर मैरों पे चलना सिखाती है।
तो पैरों पे खड़ा होना सिखाता है पिता।।
कभी रोटी तो कभी पानी है पिता।
कभी रोटी तो कभी पानी है पिता।।
कभी...