poetry
नयना कितने गहरे है तेरे
ये कश्तियाँ है तेरी किनारे है तेरे
मैं तेरी इक निगाह से खिल उठता हूँ
कितने हसीन है हर मंजर तेरे
साबित करने की क्या जरूरत है
हम तो गुनेहगार है तेरे
आखिर तूने फांसी मुकर्रर कर दी मेरी
बड़े अहसास है तेरे
फिर भी आखिरी खवाहिश है मेरी
कि तुझे एक झलक देखना चाहता हूं
कैसे भूल पाऊँगा वो इक इक पल जो
संग बिताये तेरे
मैं तेरे भरोसे ही चला था जिंदगी की राहों में
तू नज़र आयी किसी और की बाहों में
संग रहता हूँ फिर भी तेरे
जानता हूँ सब कुछ फिर भी छुप हूँ
अब इससे ज्यादा और क्या इंतहान लेगा मेरे
फिर भी जिंदगी किसी का इंतज़ार करती है
तेरी बेवफाई से, ज्यादा और क्या गम होगा
जिंदगी में मेरे
मगर अब तेरी ही चाहत है
मुझे जाने दुनिया नाम से तेरे
© All Rights Reserved
ये कश्तियाँ है तेरी किनारे है तेरे
मैं तेरी इक निगाह से खिल उठता हूँ
कितने हसीन है हर मंजर तेरे
साबित करने की क्या जरूरत है
हम तो गुनेहगार है तेरे
आखिर तूने फांसी मुकर्रर कर दी मेरी
बड़े अहसास है तेरे
फिर भी आखिरी खवाहिश है मेरी
कि तुझे एक झलक देखना चाहता हूं
कैसे भूल पाऊँगा वो इक इक पल जो
संग बिताये तेरे
मैं तेरे भरोसे ही चला था जिंदगी की राहों में
तू नज़र आयी किसी और की बाहों में
संग रहता हूँ फिर भी तेरे
जानता हूँ सब कुछ फिर भी छुप हूँ
अब इससे ज्यादा और क्या इंतहान लेगा मेरे
फिर भी जिंदगी किसी का इंतज़ार करती है
तेरी बेवफाई से, ज्यादा और क्या गम होगा
जिंदगी में मेरे
मगर अब तेरी ही चाहत है
मुझे जाने दुनिया नाम से तेरे
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