poetry
नयना कितने गहरे है तेरे
ये कश्तियाँ है तेरी किनारे है तेरे
मैं तेरी इक निगाह से खिल उठता हूँ
कितने हसीन है हर मंजर तेरे
साबित करने की क्या जरूरत है
हम तो गुनेहगार है तेरे
आखिर तूने फांसी मुकर्रर कर दी मेरी
बड़े अहसास है तेरे
फिर भी आखिरी खवाहिश है मेरी
कि तुझे...
ये कश्तियाँ है तेरी किनारे है तेरे
मैं तेरी इक निगाह से खिल उठता हूँ
कितने हसीन है हर मंजर तेरे
साबित करने की क्या जरूरत है
हम तो गुनेहगार है तेरे
आखिर तूने फांसी मुकर्रर कर दी मेरी
बड़े अहसास है तेरे
फिर भी आखिरी खवाहिश है मेरी
कि तुझे...