कहां तक चलता है
उड़ना तो अभी बहुत बाकी था
परिंदो का जोर कहां तक चलता है
निकाल कर मास खाने वाला था वो मेरी रूह का
दरिंदा था
दरिंदो का जोर कहां तक चलता है
आवाज बुलंद ही काफ़ी नही
साथ भी चाहिए कोई...
परिंदो का जोर कहां तक चलता है
निकाल कर मास खाने वाला था वो मेरी रूह का
दरिंदा था
दरिंदो का जोर कहां तक चलता है
आवाज बुलंद ही काफ़ी नही
साथ भी चाहिए कोई...