घटिया
तुम जैसे, झूठे, बेगैरतों से क्यों रखे यारी,
जैसे तुम हो घटिया वैसी सोच है तुम्हारी.
कभी तुम अपने गिरेबाँ में झांकते नहीं,
औरों पे इल्जाम लगाने की तुम्हे...
जैसे तुम हो घटिया वैसी सोच है तुम्हारी.
कभी तुम अपने गिरेबाँ में झांकते नहीं,
औरों पे इल्जाम लगाने की तुम्हे...