शृंगार
तेरी दो आखें बेहद सुंदर है यारा...
उनमे कभी मैंने तराजू नहीं देखा...
तुम्हारी जुबां मिठी भी है कडवी भी...
पर कभी नोकीला लफ्ज नहीं सुना...
तेरा यह शृंगार भी गजब का है यारा... ...
उनमे कभी मैंने तराजू नहीं देखा...
तुम्हारी जुबां मिठी भी है कडवी भी...
पर कभी नोकीला लफ्ज नहीं सुना...
तेरा यह शृंगार भी गजब का है यारा... ...