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दर्पण
दर्पण में जब भी देखती
माँ कहती तू सुंदर है
बार बार मत देखा कर
नज़र लग जायेगी
और दर्पण चूर कर दिया गया
सपनों के पंख कुतर दिए गए
ना उड़ेंगे ना पहुंचेंगे
जैसा जमाना रखेगा
रहना होगा
इस जमाने से नज़रें झुका कर
बात करनी होगी
एक आम सी लड़की की
व्यथा कोई समझ न पाया
माँ कहती तू सुंदर है
बार बार मत देखा कर
नज़र लग जायेगी
और दर्पण चूर कर दिया गया
सपनों के पंख कुतर दिए गए
ना उड़ेंगे ना पहुंचेंगे
जैसा जमाना रखेगा
रहना होगा
इस जमाने से नज़रें झुका कर
बात करनी होगी
एक आम सी लड़की की
व्यथा कोई समझ न पाया
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